ऐसे हत्यारों का दिमाग कैसे काम करता है; कैसे पहचानें साइको किलर

7 जून को मुंबई पुलिस मीरा रोड इलाके के एक फ्लैट में दाखिल हुई। वहां एक कुकर में एक महिला की लाश के टुकड़े, बाल्टी में खून और अधजली हड्डियां पड़ी मिलीं। पुलिस के मुताबिक मृतक 32 साल की सरस्वती वैद्य है। सरस्वती के वीभत्स मर्डर का आरोप लिव-इन पार्टनर मनोज साने पर लगा है। जिसने भी इस हत्या की डिटेलिंग सुनी वो सिहर उठा।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि ऐसे हत्यारों का दिमाग कैसे काम करता है, क्या मनोज साइको किलर है और क्या ऐसे इरादों की पहले से पहचान हो सकती है?

मीरा रोड मर्डर केस में अब तक क्या-क्या बातें पता चली हैं?
मनोज साने और सरस्वती वैद्य 3 साल से लिव-इन पार्टनर थे। वो दोनों मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा बिल्डिंग के 7वें फ्लोर पर किराए के फ्लैट में रहते थे। 7 जून को फ्लैट से बदबू आने पर बिल्डिंग के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आने के बाद ये मामला सामने आया।

मुंबई पुलिस के DCP जयंत बजबाले ने बताया कि पुलिस को मनोज के फ्लैट से एक महिला की लाश के टुकड़े मिले हैं। ये टुकड़े सड़ चुके थे, जिन्हें देखकर अनुमान है कि मर्डर तीन-चार दिन पहले किया गया था। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने महिला के शव के टुकड़ों को जांच के लिए जेजे अस्पताल भेजा है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम अब शरीर के अंगों की जांच करेगी और पुलिस को बताएगी कि शरीर के कौन से अंग गायब हैं।

पुलिस की थ्योरीः DCP जयंत बजबाले ने बताया कि मनोज और सरस्वती के बीच झगड़ा हुआ था। इसके बाद मनोज ने हत्या कर दी। लाश ठिकाने लगाने के लिए उसे कटर से काटा, कुकर में उबाला और कुत्तों को खिलाया।

मनोज का दावा: आरोपी का कहना है कि 3 जून को सरस्वती ने सुसाइड कर लिया। सरस्वती की मौत के बाद वह डर गया था कि उस पर उसकी हत्या का आरोप लगाया जाएगा, इसलिए उसने उसके शरीर को ठिकाने लगाने का फैसला किया। उसने यह भी बताया है कि HIV+ होने की वजह से उसने सरस्वती से शारीरिक संबंध नहीं बनाए हैं, लेकिन बीते 5 साल से वह सरस्वती से काफी ज्यादा प्यार करता था। पुलिस अब उसके बयान की जांच कर रही है।

कैसे काम करता है साइको किलर का दिमाग, क्या मनोज भी साइको?

पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है कि मनोज साइको किलर है या नहीं। उसे साइको किलर कहे जाने की 3 वजहें हैं…

1. बेरहमी से सरस्वती के शव को कटर से कई टुकड़ों में काट दिया।

2. शव के टुकड़ों को कुकर में उबाल कर 4 दिनों तक उन्हें कुत्तों को खिलाता रहा।

3. मर्डर के बाद भी कॉलोनी में सामान्य लोगों की तरह रह रहा था।

साइकोलॉजी टुडे के मुताबिक जब कोई व्यक्ति अपनी नींद, भूख और भावनाओं पर कंट्रोल नहीं रख पाता है तो आक्रामक होकर हत्यारा भी बन सकता है। ऐसे लोग दूसरों की हत्या इस वजह से करते हैं…

1. दूसरों की जान लेने के दौरान रोमांच और खुशी महसूस होती है।

2. उसमें भावनाओं, दूसरे के दुखों और अपराध को समझने की क्षमता नहीं होती है।

3. वह मनोरोगी होता है और दूसरों की परवाह नहीं करता है।

कोई सामान्य इंसान कैसे साइको किलर बन जाता है?
‘सन्स ऑफ चेन: ए हिस्ट्री ऑफ सीरियल किलिंग फ्रॉम स्टोन एज टु प्रेजेंट’ किताब के लेखक पीटर व्रोन्स्की के मुताबिक ज्यादातर सीरियल किलर साइको होते हैं और वह बचपन में किसी न किसी ट्रॉमा यानी PTSD से गुजरे होते हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ‘एकेडमिक इनसाइट्स फॉर द थिंकिंग वर्ल्ड’ रिसर्च के मुताबिक इंसान के शरीर में कुछ जीन के नहीं रहने से भी इंसान हिंसक हो सकते हैं। ऐसे ही दो जीन का नाम है- MAOA यानी ‘मोनोअमीन ऑक्सीडेज ए’ और CDH13 यानी ‘टी-कैडरिन’। ये जीन शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर मॉलीक्यूल्स जैसे सेरेटोनिन और डोपामिन पर कंट्रोल रखते हैं।

इनका सीधा ताल्लुक मूड, भावनाओं, नींद और भूख से है। अगर शरीर में इन जीन की कमी हुई तो इससे इंसान को आक्रामक और हिंसक होते देर नहीं लगती है। यही वजह है कि MAOA को वॉरियर जीन या सीरियल किलर जीन भी कहा जाता है।

क्या साइको किलर की पहचान हो सकती है?
साइको किलर अपने बिहेवियर के आधार पर सामान्य लोगों से अलग होते हैं। आमतौर पर साइको किलर एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी ASPD के शिकार होते हैं। इस डिसऑर्डर में लोगों के अंदर इंसानों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति काफी बढ़ जाती है। इस तरह के लोगों में दिखने वाले कुछ लक्षण इन्हें आम इंसानों से अलग बनाते हैं…

1. दूसरों के अधिकार का जरा सा भी ख्याल न करना।

2. सही और गलत के बीच अंतर न बता पाना

3. किसी गलती पर कोई पछतावा न होना

4. बार-बार झूठ बोलने की आदत

5. अपने फायदे के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाना, उन्हें मैनिपुलेट करना

6. बिना किसी पश्चाताप के कानून तोड़ते रहना

7. सेफ्टी के लिए जरूरी नियमों का बिल्कुल ख्याल न रखना

8. खुद की तारीफ में ही डूबे रहना

9. आलोचना पर तुरंत नाराज और बहुत सेंसिटिव हो जाना

10. पशुओं के साथ क्रूरता और आग लगाने की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है।

साइकेट्रिस्ट डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी के मुताबिक इस तरह के जघन्य अपराध करने वालों को ही साइकोपैथ कहते हैं। इनके मुताबिक आजकल क्राइम वाली वेब सीरीज का दौर चल रहा है। इनमें महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार या क्राइम को सहजता के साथ दिखाया जा रहा है।

पुलिस के अनुसार, श्रद्धा की लाश ठिकाने लगाने की तरकीब आफताब ने ‘डेक्सटर’ सीरीज से जानी। ये सीरीज उसे रोमांचित करती थी। आम लोग भी अगर लगातार ऐसी सीरीज देखते हैं तो इसका उनकी मनःस्थिति पर असर पड़ता है। साइकोपैथ किलर को ऐसे ही क्राइम शो से अपराध करने और सबूत मिटाने का आइडिया मिलता है।

डॉक्टर राजीव मेहता का भी मानना है कि बचपन से ही ऐसे लक्षण दिखने लग जाते हैं। ADHD यानी अटेंशन-डेफिसिट हाईपरएक्टिविटी डिसऑर्डर और कंडक्ट डिसऑर्डर कहते हैं। इसके शिकार बच्चे बहुत चंचल होते हैं। उन्हें दूसरों को तंग करने, जानवरों को छेड़ने, चीजों को तोड़ने में मजा आता है। वे फोर्सफुल सेक्शुअल एक्टिविटीज और स्कूल बंक करने जैसे काम करने लगते हैं।

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December 26, 2024
9:49 pm

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