उत्तराखंड में इस साल सर्दियों के महीनों में बर्फबारी लगभग नदारद रही। आशंकाओं के भंवर के बीच मार्च मध्य के बाद से अब तक लगभग 13 फुट बर्फबारी रिकॉर्ड की जा चुकी है। मार्च की शुरुआत में यहां बर्फ का स्तर 7 फुट से बढ़कर अब 20 फुट हो गया है। भारी बर्फबारी से हिमालय के तीन प्रमुख ग्लेशियर गौमुख, अलकापुरी और पिंडर सहित लगभग डेढ़ हजार छोटे-बड़े ग्लेशियर रिचार्ज हो गए हैं।
मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि अभी अप्रैल के पहले पखवाड़े तक हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी हिमपात होने की संभावना है। मई में भी इन इलाकों में हिमापत का दौर जारी रहने रहेगा। उत्तराखंड में ग्लेशियरों के रिचार्ज होने के गंगा के मैदानी इलाकों खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को गर्मी के दौरान पेयजल और सिंचाई की किल्लत नहीं होने की संभावना जताई जा रही है।
देरी से हिमपात… जलवायु परिवर्तन से सर्दियां आगे खिसक रहीं
वाडिया भूगर्भ संस्थान के पूर्व ग्लेशियर वैज्ञानिक डीपी डोभाल का कहना है कि देरी से हिमपात का कारण जलवायु परिवर्तन से हिमालय में सर्दी के महीनों का आगे खिसकना है।पहले अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों का मौसम रहता था, जो अब दिसंबर से मई तक जाने लगा है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।