पीएम मोदी ने 17वें सिविल सेवा दिवस पर सिविल सेवकों से अपील की है कि वे सभी ‘नागरिक देवो भवः’ के सिद्धांत को अपनाएं। पीएम मोदी ने अफसरों से अपील की कि वे संवेदनशील बनें, गरीबों की आवाज सुनें और उनके संघर्षों को समझें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिविल सेवकों से कहा कि वे आम नागरिकों, खासकर वंचित वर्ग के लोगों की समस्याओं का समाधान करते समय ‘नागरिक देवो भवः’ के सिद्धांत को अपनाएं। उन्होंने विकास को समावेशी बनाने के लिए अंतिम छोर तक सेवाएं पहुंचाने पर भी जोर दिया।
खुद को विकसित भारत के निर्माता के रूप में देखें’
17वें सिविल सेवा दिवस पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सिविल सेवकों को खुद को केवल प्रशासक नहीं, बल्कि विकसित भारत के निर्माता के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है, इसलिए सभी को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए।
संवेदनशील बनें, गरीबों की आवाज सुनें’
प्रधानमंत्री ने बताया कि बीते 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है और यह प्रयास गरीबी मुक्त भारत की दिशा में जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में प्रशासन का उद्देश्य सिस्टम को चलाना नहीं, बल्कि संभावनाओं को बढ़ाना होना चाहिए। पीएम मोदी ने अफसरों से अपील की कि वे संवेदनशील बनें, गरीबों की आवाज़ सुनें और उनके संघर्षों को समझें। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सुधारों की गति को और तेज करने की जरूरत है और हर क्षेत्र में नए बदलाव लाए जाने चाहिए।
16 सिविल सेवकों को दिया गया पुरस्कार
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम फिजिक्स जैसी तकनीकें आने वाले समय में बड़ा परिवर्तन लाएंगी और सिविल सेवकों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए 16 सिविल सेवकों को पुरस्कार भी दिए गए।