प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के इजिप्ट दौरे पर मिस्र पहुंच गए हैं। राजधानी काहिरा में उनका स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुआ। PM मोदी को मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली ने रिसीव किया है। चार दिन की मोदी की इस विजिट को बाइलेट्रल ट्रेड के हवाले से बेहद अहम माना जा रहा है।
इजिप्ट के प्रेसिडेंट अब्देल फतेह अल सीसी इसी साल हमारे 74वें गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट थे। दूसरे शब्दों में कहें तो 6 महीने में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की यह दूसरी मुलाकात होगी। मोदी यहां भारतीय मूल के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री एक हजार साल पुरानी शिया मस्जिद अल-हाकिम भी जाएंगे।
26 साल बाद अहम दौरा
- मिस्र की जियोग्राफिक और स्ट्रैटेजिक लोकेशन सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए कई मायनों में बेहद अहम है। 1997 के बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजिप्ट दौरे पर आ रहा है।
- सऊदी अरब के अखबार ‘द नेशनल’ से बातचीत में पूर्व डिप्लोमैट अनिल त्रिगुणायत ने कहा- मोदी का यह दौरा भारत और इजिप्ट के करीबी रिश्तों को दिखाता है। अब तक इजिप्ट का लगभग हर प्रेसिडेंट भारत दौरे पर गया है। अनिल लीबिया और जॉर्डन में भारत के ऐंबैस्डर रह चुके हैं।
- अनिल कहते हैं- इजिप्ट भारत को बहुत अहमियत दे रहा है। अफ्रीका में यह सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। भारत के लिए भी इजिप्ट अहम है। अच्छी बात ये है कि दोनों देशों के लोगों के बीच भी बहुत करीबी रिश्ते रहे हैं। भारत की आजादी के बाद से ही दोनों देश किसी न किसी तौर पर जुड़े रहे हैं। इजिप्ट भारत के साथ डिफेंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में ट्रेड पर फोकस कर रहा है।
- भारत ने इजिप्ट के अलावा ओमान और UAE को भी सितंबर में होने वाली जी-20 मीटिंग में शामिल होने का न्योता दिया है। ये बताता है कि भारत कितनी तेजी से इस क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा रहा है।
जरूरत के वक्त मदद
पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। इससे सबसे बड़ा संकट जो पैदा हुआ वो ग्लोबल फूड क्राइसिस था। यूक्रेन वो मुल्क है जो इजिप्ट को सबसे ज्यादा फूड प्रोडक्ट्स सप्लाई करता है।
जंग शुरू होने के बाद हालात बदतर होने लगे। इजिप्ट में तो भुखमरी का संकट पैदा होने लगा था। इसकी वजह यह थी कि यूक्रेन के कार्गो शिप दूसरे देशों को सप्लाई देने के लिए पोर्ट से ही नहीं निकल पा रहे थे। इस मुश्किल दौर में भारत ने इजिप्ट की मदद की। भारत सरकार ने बहुत तेजी से इजिप्ट को 62 हजार टन गेहूं भेजा। बाद में इजिप्ट सरकार ने भारत सरकार का शुक्रिया अदा करने के लिए स्पेशल डिप्लोमैटिक नोट भेजा।
दोहरी भूमिका और हमारे लिए फायदेमंद
- इजिप्ट एक ऐसा देश है, जिसे डिप्लोमैटिक वर्ल्ड में ‘डबल हैट’ भी कहा जाता है। दरअसल, मिस्र अरब के साथ ही अफ्रीकी देशों में भी शुमार किया जाता है। मायने ये हुए कि भारत अगर यहां प्रभाव बढ़ाता है तो वो अरब के साथ अफ्रीका में भी मजबूत हो सकेगा।
- 2021-22 में दोनों देशों के बीच बाइलेट्रल ट्रेड 7.26 अरब डॉलर था। खास बात ये है कि ये बीते साल की तुलना में 60% ज्यादा था। अब मोदी और प्रेसिडेंट सीसी इसे पांच साल में 12 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं।
- इजिप्ट सुएज नहर को इकोनॉमिक जोन में बदलना चाहता है। ये करीब 460 किलोमीटर लंबा ट्रेड स्ट्रैच है। इसमें अफ्रीका, अरब और यूरोप के 6 अहम पोर्ट शामिल हैं। चीन इस प्रोजेक्ट पर 1 अरब डॉलर खर्च कर रहा है। वो इसे बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का हिस्सा बनाना चाहता है। भारत इससे अच्छी तरह वाकिफ है और वक्त रहते यहां ज्यादा इन्वेस्टमेंट करना चाहता है।
- इजिप्ट सरकार चाहती है कि भारत यहां अपनी मिलिट्री प्रेजेंस भी बढ़ाए। दोनों देशों के बीच सीक्रेट मिलिट्री डील होने की भी खबरें हैं। जनवरी में राजस्थान के जैसलमेर में दोनों सेनाओं ने कम्बाइंड ट्रेनिंग भी की थी।