भारत की नकल कर रहा अमेरिका..! बरसों बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा US का लैंडर

अमेरिका की प्राइवेट कंपनी ने अपने lander को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर इतिहास रचा है. अमेरिका की Houston based private company Intuitive Machines का lander Odysseus चांद पर उतरा है. Odysseus छह पैरों वाला एक robot lander है जो भारतीय समय के अनुसार आज सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, इस सफल landing के साथ Odysseus moon landing करने वाला किसी प्राइवेट कंपनी का पहला spacecraft है.

मालापर्ट 17वीं सदी के Belgian astronomer थे

Lander Odysseus जिस जगह पर लैंड हुआ है उसे मालापर्ट के नाम से जाना जाता है. चांद के दक्षिणी ध्रुव की इस जगह पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती. ये एक खाई के करीब समतल जगह है. इसके पास ही Odysseus लैंडर उतरा है. मालापर्ट 17वीं सदी के Belgian astronomer थे. इन्हीं के नाम पर चांद के इस हिस्से का नाम मालापर्ट रखा गया था. landing वाली जगह का पहले ही चयन कर लिया गया था. spacecraft में लगे कैमरे इसकी Location, मिशन कंट्रोल रूम तक पहुंचा रहे थे. लैंडिंग से पहले एक समय ऐसा भी आया जब Odysseus के navigation system में कुछ खराबी आ गई थी. लेकिन इसके बावजूद लैंडिंग कराई गई. जैसे ही Odysseus चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, कंट्रोल रूप में तालियां बजने लगीं और जगह-जगह लोग जश्न मनाने लगे. ये केवल company और commercial इस्तेमाल के लिहाज से ही नहीं, बल्कि American space कार्यक्रम के लिए भी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है.

चांद की सतह पर 7 दिन तक काम करेगा

Odysseus लैंडर चांद पर उतर चुका है और अब ये चांद की सतह पर 7 दिन तक काम करेगा. वैसे तो Odysseus Private Moon Mission है, लेकिन इसके पीछे American Space Agency NASA का दिमाग है. मिशन में काम आने वाले 6 उपकरण NASA ने ही तैयार किए हैं. NASA ने अपने वैज्ञानिक उपकरणों और टेक्नोलॉजी को चंद्रमा तक ले जाने के लिए इस MISSION को फंड किया है. लैंडर के साथ भेजे गए NASA के payload चंद्रमा की सतह के साथ अंतरिक्ष के मौसम और भविष्य के लैंडरों के लिए चंद्रमा का डेटा इकट्ठा करेंगे.

इंसानों को चंद्रमा पर भेजना चाहता है अमेरिका

अमेरिकी स्पेस एंजेसी NASA का लक्ष्य एक बार फिर इंसानों को चंद्रमा पर भेजना है. इस लिहाज से ये मिशन Odysseus बहुत अहम है. जब से भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा है, तब से चांद पर जाने की रेस काफी तेज़ हुई है. इस रेस में फिलहाल भारत के बाद अमेरिका कामयाब हुआ है. भारत के बाद अमेरिका का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना बड़ी कामयाबी है. इसके लिए अमेरिका ने पूरे 52 वर्ष इंतजार किया है. यानि 51 साल बाद पहली बार कोई अमेरिकी मिशन चांद पर उतरा है. इससे पहले 1972 में अपोलो-17 मिशन ने चंद्रमा पर soft landing की थी. हालाकि अपोलो-17 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा था. इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में Artemis-1 मिशन को चांद पर रवाना किया था. लेकिन वह अंतरिक्ष यान चांद पर उतरा नहीं था. तब NASA के अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि चांद पर soft landing के लिए कोशिश करते रहेंगे. अब जाकर अमेरिकी वैज्ञानिकों का ये सपना पूरा हुआ है.

अमेरिका का दूसरा प्राइवेट मिशन

ओडिसियस मिशन अमेरिका का दूसरा प्राइवेट मिशन है. इसके पहले 8 जनवरी 2024 को अमेरिका ने अपना पहला प्राइवेट मून मिशन लॉन्च किया था. हालांकि अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 लैंडर चांद पर नहीं उतर सका था. fuel leakage और battery charging failed होने की वजह से मिशन फेल हो गया था. धरती और चांद के बीच की औसत दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार 400 किमी है. धरती से चलकर, चांद पर उतरना वाकई में बड़ी कामयाबी है…और इस कामयाबी के लिए बड़े बड़े देश लंबे समय से काम कर रहे है…कुछ देशों को इसमें कामयाबी मिली है तो कई देश अभी भी कामयाब होने का इंतजार कर रहे है.

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December 27, 2024
2:44 pm

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