सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मतदाता सूची में गड़बड़ियों की जांच के लिए एसआईटी गठन की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि जब तक स्वतंत्र ऑडिट पूरा न हो, तब तक सूची का संशोधन रोका जाए। मामला राहुल गांधी के उन आरोपों से जुड़ा है, जिनमें उन्होंने भाजपा और चुनाव आयोग पर मिलीभगत से वोट चोरी का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है जिसमें मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस एसआईटी का नेतृत्व किसी पूर्व न्यायाधीश को करना चाहिए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। यह याचिका बेंगलुरु सेंट्रल और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मतदाता सूची में छेड़छाड़ के आरोपों की जांच से जुड़ी है। इस मामले को लेकर सात अगस्त को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए थे।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूची में भारी आपराधिक धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने कहा था कि यह “वोट चोरी” लोकतंत्र पर “एटम बम” है। इन आरोपों के तुरंत बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने राहुल गांधी से उन मतदाताओं के नाम और शपथपत्र मांगे, जिनकी जानकारी को उन्होंने गलत बताया था। वहीं, 17 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया कि यदि राहुल गांधी सात दिन के भीतर शपथपत्र देकर अपने दावे का सबूत नहीं देंगे तो उनके आरोप “निराधार और अमान्य” माने जाएंगे।
याचिका में और क्या-क्या?
एडवोकेट रोहित पांडे द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि जब तक मतदाता सूची का स्वतंत्र ऑडिट पूरा नहीं होता और अदालत के निर्देशों का पालन नहीं होता, तब तक मतदाता सूची में कोई नया संशोधन या अंतिम रूप नहीं दिया जाए। याचिका में चुनाव आयोग को बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है, ताकि मतदाता सूची की तैयारी, प्रकाशन और रखरखाव में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। इसमें डुप्लीकेट या फर्जी नामों की रोकथाम के लिए ठोस तंत्र की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।