प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2024 के अवसर पर लाल किले से दिए गए अपने 98 मिनट के भाषण में गैरराजनीतिक परिवार से आने वाले एक लाख युवाओं को राजनीति में आने के लिए आमंत्रित किया. इसके साथ ही उन्होंने लाल किले के प्राचीर से चार राज्यों में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव का एजेंडा भी कमोबेश सेट कर दिया.पीएम मोदी ने भाषण की शुरुआत में आदिवासियों के मुद्दे उठाते हुए झारखंड और फिर सेक्युलर सिविल कोड, करप्शन, टेररिज्म और सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र कर सिलसिलेवार तरीके से महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू एवं कश्मीर के मतदाताओं को भी साफ संदेश दिया. पीएम मोदी के भाषण में उठाए गए मुद्दों को इन चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में सियासी जमीन पर असर को लेकर बड़ा दांव भी माना जा रहा है.
हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और झारखंड में चुनाव
इस साल के आखिरी तिमाही में देश के चार राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव आयोग की टीम इन राज्यों में लगातार दौरों और बैठकों के जरिए तैयारी को युद्ध स्तर पर पूरा कर रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में मनमाफिक नतीजे पाने में पीछे रही भाजपा अब इन चारों राज्यों पर फोकस कर रही है. झारखंड और जम्मू-कश्मीर में सत्ता हासिल करने तो महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा चुनावी मैदान में उतरेगी.
परिवारवाद और जातिवाद पर चिंता, युवाओं को सीधा न्योता
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा कि देश के एक लाख युवाओं को राजनीति में आने की जरूरत है. हालांकि उन्होंने ऐसे युवाओं के सामने एक शर्त भी रखी. उन्होंने कहा कि ऐसे युवा राजनीति में आगे आए जिनके परिवारों का पहले से कोई राजनीतिक बैकग्राउंड न हो. यानी उनके घर में कोई राजनीतिक शख्स न हो. देश की मौजूदा राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद को लेकर अपनी चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राजनीति में नए लोगों को अवसर मिलना चाहिए.
फर्स्ट टाइम वोटर्स को अपने साथ जोड़ने की बड़ी कोशिश
देश में बड़ी तादाद में फर्स्ट टाइम वोटर्स के अलावा युवाओं को राजनीति में आने का न्योता देकर पीएम मोदी ने जनाधार को मजबूत करने और भविष्य की राजनीति का संकेत दिया. इसके अलावा उन्होंने आदिवासी मुद्दों और भगवान बिरसा मुंडा का जिक्र कर झारखंड को साधा. पीएम मोदी ने कहा कि 1857 से पहले भी देश के आदिवासी समुदाय के लोग आजादी के लिए लड़ रहे थे. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से दो साल पहले 1855 में तत्कालीन बंगाल (अब झारखंड) के संथाल परगना इलाके में सिद्धो-कान्हू के नेतृत्व में आंदोलन हुआ था.
झारखंड में आदिवासी वोटर्स को वापस लाने की कवायद
संथाल विद्रोह के नाम से मशहूर इस आंदोलन में अंग्रेजों ने लगभग 30 हजार संथाली लोगों को गोलियों से भून डाला था. हालांकि, इसके बावजूद संथालियों ने अंग्रेजों को अपने इलाके से भगा दिया था. आज भी झारखंड के घर-घर में इस विद्रोह की कहानी सुनाई जाती है. दो महीने के बाद ही झारखंड विधानसभा चुनाव होने वाला है. आदिवासी बहुल राज्य के कुल 81 विधानसभा सीटों में से 30 सीटों पर आदिवासी वोट सीधे तौर पर हार-जीत तय करते हैं. झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है. बीते चुनावों में आदिवासी सीटों पर भाजपा कमजोर साबित हुई है.
सेक्युलर सिविल कोड से महाराष्ट्र और हरियाणा को मैसेज
महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है. लगातार दो बार से दोनों राज्यों के चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रही है. आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने दोनों जगह सत्ता बचाए रखने की चुनौती है. सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2024 में इन दोनों राज्यों में जातिगत मुद्दे हावी रहे. इसलिए नतीजे भाजपा की उम्मीद से कमतर रहे हैं. भाजपा इन दोनों ही राज्यों में रिस्क लेने से बचना चाहती है. इसलिए जातीय राजनीति की काट के लिए हिंदुत्व और समान नागरिक संहिता की पैरवी वक्त की बड़ी जरूरत हो सकती है.