1 घंटा 52 मिनट बाद मणिपुर का जिक्र किया, वो भी विपक्ष के वॉकआउट करने के बाद

संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन (गुरुवार, 10 अगस्त) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दिया। 2 घंटे 12 मिनट के भाषण में पीएम ने कहा- यूपीए को लगता है कि देश के नाम का इस्तेमाल कर विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है। ये इंडिया गठबंधन नहीं है। ये घमंडिया गठबंधन है। इसकी बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है। मोदी के भाषण के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिसमें ध्वनि मत से प्रस्ताव गिर गया।

इधर, मोदी के भाषण शुरू होने के एक घंटे बाद विपक्षी दलों ने वी वॉन्ट मणिपुर के नारे लगाए। 90 मिनट बाद विपक्षी सांसद सदन से वॉकआउट कर गए। विपक्ष मणिपुर मुद्दे पर 26 जुलाई को केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था। अगले दिन यानी 27 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार किया था।

मोदी के भाषण की बड़ी बातें…

यह सरकार का नहीं, विपक्ष का फ्लोर टेस्ट
मैं भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि उन्होंने विपक्ष को सुझाया और वे इसका प्रस्ताव लेकर आए। 2018 में भी वे अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। तब मैंने कहा था कि यह हमारी सरकार के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं है। उन्हीं का फ्लोर टेस्ट है। हुआ भी वही। जब मतदान हुआ, तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने भी जमा नहीं कर पाए थे।

विपक्ष का अविश्वास हमारे लिए शुभ होता है
इतना ही नहीं, जब हम सब जनता के पास गए तो जनता ने भी पूरी ताकत के साथ इनके लिए नो कॉन्फिडेंस घोषित कर दिया। चुनाव में एनडीए को कहीं ज्यादा सीटें मिलीं। एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। एनडीए और बीजेपी 2024 के चुनाव में पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर जनता के आशीर्वाद से वापस आएगी।

आपके लिए राजनीति प्राथमिकता
विपक्ष के प्रस्ताव पर 3 दिनों से यहां काफी चर्चा हुई है। अच्छा होता कि सत्र की शुरुआत के बाद से ही विपक्ष गंभीरता के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेता। बीते दिनों इसी सदन ने और दोनों सदनों ने जनविश्वास बिल, मेडिकल बिल, डेंटल कमीशन बिल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल यहां पारित किए। लेकिन आपके लिए राजनीति प्राथमिकता है। देश की जनता ने जिस काम के लिए उन्हें यहां भेजा, उस जनता से भी विश्वासघात किया गया है।

आप लोग तैयारी करके नहीं आए
आप जुटे तो अविश्वास प्रस्ताव पर जुटे। कट्टर भ्रष्ट साथी की सलाह पर मजबूर होकर जुटे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसी चर्चा की। सोशल मीडिया पर आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं। मजा इस डिबेट का…फील्डिंग विपक्ष ने ऑर्गनाइज की, लेकिन चौके-छक्के यहीं से लगे। विपक्ष नो-कॉन्फिडेंस पर नो बॉल कर रहा है और इधर से सेंचुरी हो रही है। आप तैयारी करके क्यों नहीं आते जी।

देश के लिए यह समय बेहद अहम
हम सब ऐसे टाइम पीरियड में हैं, चाहे हम हों या आप… ये टाइम पीरियड बेहद अहम है। कालखंड जो गढ़ेगा, उसका प्रभाव इस देश पर आने वाले 1000 साल तक रहने वाला है। इस कालखंड में हम सबका दायित्व है, एक ही फोकस होना चाहिए कि देश का विकास, सपने पूरे करने का संकल्प, सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुटना।

अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता का आत्मविश्वास तोड़ा
हमने युवाओं को घोटालों से रहित सरकार दी है। दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख को संभाला है। अभी भी कुछ लोग कोशिश में हैं कि साख को दाग लग गए। विश्व का विश्वास भारत में बढ़ता चला जा रहा है। इस दौरान हमारे विपक्ष ने क्या किया। इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की विफल कोशिश की है।

भारत की उपलब्धियों पर विपक्ष को अविश्वास
पिछले 5 साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। IMF लिखता है कि भारत ने अति गरीबी को करीब-करीब खत्म कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है जल जीवन के जरिए 4 लाख लोगों की जान बच रही है। यूनीसेफ ने कहा कि स्वच्छ भारत के कारण हर साल गरीबों के 50 हजार रुपए बच रहे हैं। इन उपलब्धियों पर कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ दलों को अविश्वास है। जो सच्चाई दुनिया दूर से देख रही है, वो यहां रहकर नहीं देख पा रहे हैं।

देश के मंगल पर आपने काले कपड़े पहने, इसका धन्यवाद
अविश्वास और घमंड इनकी रगों में रच-बस गया है। वे जनता के विश्वास को कभी देख नहीं पाते। ये जो शुतुरमुर्ग एप्रोच है, इसके लिए देश क्या कर सकता है। जब शुभ, मंगल होता है, बच्चा साफ-सुथरा होता है तो काला टीका लगा देते हैं। आज जो देश का मंगल हो रहा है, वाहवाही हो रही है, आपका धन्यवाद करता हूं कि काले टीके के रूप में, काले कपड़े में सदन में आकर आपने इस मंगल को निश्चित करने का काम किया।

जिन चीजों की बुराई की, उनका भला हुआ
विपक्ष के लोगों को एक सीक्रेट वरदान मिला है। ये लोग जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला ही होगा। मैं 3 उदाहरण से सिद्ध कर सकता हूं।

पहला- इन लोगों ने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर डूब जाएगा। पब्लिक सेक्टर बैंक का नेट प्रॉफिट दोगुने से ज्यादा हो गया। फोन बैंकिंग घोटाले की बात की। देश को एनपीए के गंभीर संकट में डुबो दिया था। आज जो एनपीए का अंबार लगाकर गए थे, हम उसके पार निकल चुके हैं। निर्मलाजी ने बताया कि कितना प्रॉफिट हुआ।

दूसरा- डिफेंस के हेलिकॉप्टर बनाने वाली सरकारी कंपनी एचएएल के लिए कितनी भली-बुरी बातें कही थीं। एचएएल तबाह हो गया है, खत्म हो गया है, भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री खत्म हो गई है। लेकिन आज एचएएल सफलता की नई बुलंदियां छू रहा है। हाईएस्ट एवर रेवेन्यू रजिस्टर किया है। वहां के कामगारों को उकसाने की कोशिशों के बावजूद एचएएल देश की आन-बान-शान बनकर उभरा।

तीसरा- एलआईसी के लिए कहा कि डूब रही है। दरबारियों ने इतने कागज पकड़ा दिए और नेता सारे बोल लेते थे। एलआईसी मजबूत हो रही है। शेयर मार्केट के लिए भी गुरुमंत्र है, जिस सरकारी कंपनियों को ये लोग गाली दें, उस पर पैसा लगा दीजिए अच्छा ही होगा।

तीसरी बार सरकार बनेगी तो हम दुनिया की तीसरी इकोनॉमी बनेंगे
ये वो लोग हैं, जिन्हें देश के सामर्थ्य पर विश्वास नहीं है। हमारी सरकार के अगले टर्म में यानी तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी टॉप अर्थव्यवस्था होगा। ये जिम्मेदार विपक्ष ऐसे में पूछता कि मोदीजी, निर्मलाजी, ये कैसे करोगे। ये भी मुझे सिखाना पड़ रहा है। यहां वो कुछ सुझाव दे सकते थे या कहते हम चुनाव में जनता के बीच जाकर बताएंगे कि ये तीसरे की बात करते हैं और हम एक पर लेकर आएंगे।

दूसरे की बात को कैच कर लेते हैं, अपनी वैक्सीन पर भरोसा नहीं
कांग्रेस को हुर्रियत, अलगाववादियों पर भरोसा था। भारत ने आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, एयर स्ट्राइक किया। इन्हें भारतीय सेना नहीं, दुश्मन के दांव पर भरोसा था। आज दुनिया में कोई भी भारत के लिए कोई भी अपशब्द बोलता है तो तुरंत विश्वास हो जाता है, तुरंत कैच कर लेते हैं। कोरोना की महामारी आई, भारत के वैज्ञानिकों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई, उस पर भरोसा नहीं था।

कई हिस्सों में कांग्रेस को जीतने में सालों लगे यानी कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस
देश के कई हिस्सों में कांग्रेस को जीत दर्ज करने में अनेक दशक लग गए हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस की आखिरी बार 1962 में जीत हुई थी, 61 साल से वहां के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस नो-कॉन्फिडेंस। बंगाल में 1972, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार 1985 में। त्रिपुरा में 1988 में, ओडिशा में 1995 में और नगालैंड में 1998 में आखिरी जीत मिली। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बंगाल में एक भी विधायक खाते में नहीं है। जनता ने कांग्रेस के प्रति लगातार नो-कॉन्फिडेंस घोषित किया है।

कांग्रेस वालों ने तो गांधी नाम भी चुरा लिया
वोटरों को भुलाने के लिए गांधी नाम भी… हर बार वो भी चुरा लिया। चुनाव चिह्न देखिए दो बैल, गाय बछड़ा, फिर हाथ का पंजा। ये सारे उनके कारनामे हैं। हर मनोवृत्ति को दिखाते हैं। सबकुछ एक परिवार के हाथों में केंद्रित हो चुका है।

परिवार के बाहर का पीएम मंजूर नहीं
दरबारवाद के कारण इन्होंने कितने ही महान लोगों को तबाह कर दिया। जो दरबारी नहीं थे, उनके पोट्रेट तक पार्लियामेंट में लगाने से इन्हें झिझक थी। 1991 में उनके पोट्रेट सेंटर हॉल में तब लगी, जब भाजपा समर्थित गैर कांग्रेसी सरकार सामने आई। नेताजी की पोट्रेट 1978 में हॉल में लगी, जब जनता पार्टी की सरकार थी। शास्त्री और चरण सिंह का पोट्रेट 1993 में गैर परिवार की सरकार में लगा।

फिल्म शराबी के गाने का जिक्र
मोदी अगर भाषण करते वक्त बीच में पानी पिए तो देखिए मोदी को पानी पिला दिया। अगर मैं गर्मी में कड़ी धूप में पसीना पोंछता हूं तो कहते हैं कि मोदी को पसीना ला दिया। एक गीत की पंक्ति है- डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत, दिल बहल जाए फकत इतना इशारा ही बहुत, इतने पर भी आसमां वाला गिरा दे बिजलियां, कोई बता दे जरा ये, डूबता फिर क्या करे। मैं कांग्रेस की मुसीबत समझता हूं, बरसों से एक ही प्रोडक्ट बार-बार लॉन्च करते हैं। लॉन्चिंग फेल हो जाती है।

विपक्षी सांसदों के वॉकआउट पर निशाना
लोकतंत्र में जिनका भरोसा नहीं होता है, वो सुनाने के लिए तो तैयार होते हैं, लेकिन सुनने का धैर्य नहीं होता है। अपशब्द बोलो भाग जाओ, कूड़ा फेंको भाग जाओ, झूठ फैलाओ भाग जाओ। कल अमित जी ने विस्तार से मणिपुर पर बात की तो देश को भी इनके झूठ का पता चला। अविश्वास प्रस्ताव पर इन्होंने हर विषय पर बोला। हमने कहा था कि अकेले मणिपुर पर आओ, लेकिन साहस नहीं था, पेट में पाप था, और ठीकरा फोड़ रहे थे हमारे सिर। सिवाय राजनीति के इन्हें कुछ करना नहीं है।

मणिपुर में फिर शांति का सूरज उगेगा
मणिपुर में अदालत का एक फैसला आया, हम जानते हैं। उसके पक्ष-विपक्ष में जो स्थितियां बनी, हिंसा का दौर शुरू हुआ, परिवारों ने अपने स्वजन खोए, महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए, ये अक्षम्य हैं, दोषियों को सजा दिलवाने के लिए केंद्र-राज्य मिलकर प्रयास कर रहे हैं। मैं सभी देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो कोशिशें चल रही हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरत जरूर उगेगा। मणिपुर फिर नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगा। मैं मणिपुर के लोगों से भी कहना चाहता हूं, बेटियों-माताओं-बहनों से कहना चाहता हूं कि देश और सदन साथ है। हम मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालेंगे, फिर शांति की स्थापना होगी। मणिपुर के लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि वो राज्य फिर विकास पर आगे बढ़े, उसमें कमी नहीं रहेगा। नॉर्थ ईस्ट हमारे जिगर का टुकड़ा है।

कांग्रेस ने भारत को तोड़ा
वंदे मातरम गीत ने हिंदुस्तान के हर कोने में चेतना फैलाई, तुष्टिकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े कर दिए। ये लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग को बढ़ावा देने के पहुंच जाते हैं। ये उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो कहते हैं कि सिलिगुड़ी के पास जो कॉरिडोर है, उसे काट दें तो नॉर्थ ईस्ट अलग हो जाएगा। ये उनका समर्थन करते हैं। जो बाहर गए हैं, उनसे पूछें- कच्छतिवू क्या है। इतनी बड़ी बातें करते हैं। डीएमके वाले उनकी सरकार उनके मुख्यमंत्री चिट्ठी लिखते हैं और कहते हैं- मोदीजी कच्छतिवू वापस ले आइए। ये किसने किया। तमिलनाडु से आगे श्रीलंका से पहले एक टापू किसने किसी दूसरे देश को दिया था, कब दिया था। तब वो मां भारती का अंग नहीं था? इसको भी आपने तोड़ा, कौन था उस समय। श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में ये हो रहा था। कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा।

कांग्रेस ने ही मिजोरम-पंजाब में हमला करवाया
मेरा नॉर्थ-ईस्ट से इमोशन अटैचमेंट है। पहली घटना 5 मार्च 1966 की है। इस दिन कांग्रेस ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर अपनी वायुसेना से हमला करवाया था। गंभीर विवाद हुआ। क्या किसी दूसरे देश की वायुसेना थी, क्या मिजोरम के लोग देश के नागरिक नहीं थे। निर्दोष नागरिकों पर हमला करवाया। आज भी मिजोरम में 5 मार्च को शोक मनाया जाता है। उस दर्द को भूल नहीं पा रहा है। इन्होंने मरहम लगाने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस ने इस सच को देश से छिपाया है। अपने ही देश में वायुसेना से हमला करवाना। कौन था उस वक्त इंदिरा गांधी। अकाल तख्त पर हमला स्मृति में है, उन्हें मिजोरम में यह आदत पहले ही लग गई थी। यहां हमें उपदेश दे रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट में वहां के लोगों के विश्वास की हत्या की है। घाव हमेशा समस्या के रूप में सामने आते हैं, उन्हीं के कारनामे हैं।

नेहरू ने असम को उसके हाल पर छोड़ा था
दूसरी घटना 1962 में रेडियो प्रसारण हुआ। आज भी शूल की तरह नॉर्थ-ईस्ट को चुभ रहा है। देश पर चीन का हमला था, देशवासी रक्षा की उम्मीद कर रहे थे, लोग हाथों से लड़ाई लड़ रहे थे। दिल्ली के शासन में बैठे हुए नेहरू ने असम के लोगों के लिए जो कहा था, वो आज भी असमियों के लिए नश्तर की तरह चुभता है। उन्होंने असम को उनके भाग्य पर छोड़ दिया था।

मणिपुर समस्या के पीछे सिर्फ कांग्रेस की राजनीति

मेरे मंत्रिपरिषद के मंत्री वहां 400 बार गए, मैं खुद 50 बार गया। ये साधना है, वहां के प्रति समर्पण है। कांग्रेस का हर काम राजनीति, चुनाव के इर्द-गिर्द रहता है। नॉर्थ-ईस्ट में उनकी कोशिश रही कि जहां पर इक्का-दुक्का सीटें होती थीं, वो इलाके उनके लिए स्वीकार्य नहीं थे। वहां के लिए सौतेला व्यवहार कांग्रेस के डीएनए में है। मैं पिछले 9 साल के प्रयासों से कहता हूं कि हमारे लिए नॉर्थ-ईस्ट हमारे जिगर का टुकड़ा है। आज मणिपुर की समस्याओं को ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे बीते कुछ समय में ही वहां यह हालात पैदा हुए। नॉर्थ-ईस्ट की समस्याओं की एकमात्र जननी कांग्रेस है। वहां के लोग इसके जिम्मेदार नहीं है, कांग्रेस की राजनीति जिम्मेदार है।

2028 में तैयारी करके आएं
मेरे किसी भाषण को उन्होंने होने नहीं दिया। मैं झेल लेता हूं, वो थक जाते हैं। एक बात पर उनकी तारीफ करता हूं, मैंने 2018 में उन्हें काम दिया था कि 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आना और उन्होंने (विपक्ष) मेरी बात मानी। दुख इस बात का है कि 5 साल मिले, थोड़ा अच्छा करते, अच्छे ढंग से करते। लेकिन देश को निराश किया। कोई बात नहीं, 2028 में फिर मौका दूंगा। आग्रह है 2028 में जब आप आएं तो थोड़ी तैयारी करके आइएगा। मुद्दे ढूंढकर आइए, देश की जनता को इतना तो भरोसा हो जाए कि आप विपक्ष के काबिल हो।

राजनीति के लिए मणिपुर का दुरुपयोग ना करें
2047 में हिंदुस्तान विकसित भारत होगा। ये देशवासियों के परिश्रम, विश्वास, संकल्प, सामूहिक शक्ति, अखंड एकराष्ट्र विचार से होगा। ये मेरा विश्वास है। हो सकता है, जो बोला जाता है, वो रिकॉर्ड के लिए तो शब्द चले आएंगे। इतिहास हमारे कर्मों को देखने वाला है। मैंने संयम रखकर, उनके हर अपशब्द को हंसते हुए सुना। 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को अपनी आंखों के सामने रखकर चल रहा हूं। सदन के साथियों से निवेदन है देश में मणिपुर से भी गंभीर समस्याएं आईं, लेकिन मिलकर रास्ते निकाले। मिलकर चलें, मणिपुर को भरोसा देकर चलें, राजनीति के लिए मणिपुर का दुरूपयोग ना करें, दर्द की दवा बनकर काम करें। हमारी तरफ से तो समृद्ध चर्चा हुई। ये प्रस्ताव देश से विश्वासघात का प्रस्ताव है।

December 6, 2024
11:31 pm

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