जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए खौफनाक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. जिसके बाद पूरे भारत में लोगों का गुस्सा आसमान पर पहुंचा है. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए, इसमें भारत ने वह किया जो अभी तक के इतिहास में कभी नहीं हुआ था. भारत ने 65 साल में पहली बार सिंधु जल संधि पर रोक लगा दी. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, 1965, 1971 और कारगिल जंगों के बाद भी सिंधु जल संधि कभी खत्म नहीं हुई थी.
सिंधु जल संधि खत्म होने के बाद पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर?
1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था. जिसे सिंधु जल संधि कहा जाता है. सिंधु नदी में मुख्य नदी सिंधु के साथ-साथ बाएं किनारे की इसकी पांच सहायक नदियां रावी, व्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब हैं. दाएं किनारे की सहायक नदी ‘काबुल’ भारत से होकर नहीं बहती है. रावी, व्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां कहा जाता है जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु मुख्य नदियां पश्चिमी नदियां कहलाती हैं. इसका पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन भारत ने अब सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी को भी रोकने का फैसला किया है. इससे पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में गर्मियों में पानी की कमी हो सकती है, जिससे भयंकर किल्लत होने वाला है.