अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानून – ‘भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ नागरिक अधिकारों के रक्षक और ‘न्याय की सुगमता’ का आधार बन रहे हैं
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानून – ‘भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ नागरिक अधिकारों के रक्षक और ‘न्याय की सुगमता’ का आधार बन रहे हैं। वह नई दिल्ली में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ एक बैठक में राज्य में तीनों कानूनों पर अमल की समीक्षा कर रहे थे।
उत्तराखंड में तीन आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर हुई एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से कहा कि राज्य में जल्द से जल्द नए आपराधिक कानूनों पर शत-प्रतिशत अमल सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि नए कानून पीड़ित और नागरिक केंद्रित हैं और इन्हें इसी भावना के साथ मुस्तैदी से लागू करने की जरूरत है। तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि राज्य के हर जिले में एक से अधिक फोरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध हो।
शाह ने कहा कि फॉरेन्सिक विजिट के लिए टीमों को तीन श्रेणियों – गंभीर, सामान्य और अति सामान्य – में विभाजित करना चाहिए। जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके। इसके साथ ही गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए निर्दिष्ट स्थान तय करने के लिए प्रोटोकॉल बने और सभी स्थानों पर लगने वाले कैमरा उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले हों।
शाह ने कहा कि इसकी नियमित मॉनीटरिंग होनी चाहिए कि दर्ज की गई कुल जीरो एफआईआर में से कितनी एफआईआर में न्याय मिला और कितनी एफआईआर राज्यों को स्थानांतरित की गईं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को हर 15 दिन और मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक बार तीन नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए। शाह ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को सभी पुलिस अधीक्षकों द्वारा निर्धारित समयसीमा के तहत मामलों की जांच सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।