‘आज उस यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि 500 वर्ष तक प्रज्वलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं।” …प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द उस क्षण के महत्व को बता रहे हैं, जिसका हर किसी को बरसों से इंतजार था। जानिए मंगलवार को अयोध्या में क्या हुआ, कौन-सी ध्वजा लहराई, उसका महत्व क्या है और इस क्षण का साक्षी बनी प्रमुख हस्तियों ने क्या कहा.

500 वर्षों से एक तरह का विरह झेल रही अयोध्यानगरी का राम मंदिर आज तब संपूर्ण हो गया, जब भव्य और दिव्य मंदिर के शिखर पर आस्था की ध्वजा लहराई। वही ध्वज, जो केवल वस्त्र नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का साक्षात प्रतीक है। यह ध्वज आस्था के धागों से तैयार हुआ। इस क्षण का साक्षी बनने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। साथ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। आइए जानते हैं कि मंगलवार को आखिर अयोध्या में हुआ क्या…
मंदिर का संक्षिप्त इतिहास क्या है?
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। कोरोना काल में हजारों श्रमिकों की अथक मेहनत के बाद राम मंदिर का पारंपरिक नागर शैली में निर्माण पूरा हुआ। इसकी लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फिट है। यह कुल 392 खंभों और 44 दरवाजों से युक्त है।
धर्म ध्वजा का आरोहण क्यों?
दरअसल, 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम बालक राम के रूप में स्थापित किए गए थे। 5 जून 2025 को दूसरी प्राण प्रतिष्ठा में भगवान राम राजा के रूप में स्थापित किए गए। इसके बाद अंतिम कार्य ध्वज ध्वजा स्थापित करने का था। सनातन परंपरा में शिखर पर लहराते ध्वज को मंदिर का रक्षक, ऊर्जा का वाहक और पूर्णता तथा ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। ध्वजा से ही मंदिर को पूर्णता प्राप्त होती है। ध्वजा आरोहण के लिए 25 नवंबर 2025 को सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच का मुहूर्त निकाला गया। मंगल-स्वस्ति गान के बीच ध्वजा आरोहण हुआ। 32 मिनट का यह शुभ योग भगवान श्रीराम के जन्म नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त से मेल खाता है। दिन भी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी का चुना गया, जिसे विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह हुआ था।
धर्म ध्वजा किस तरह का है?
यह 22 गुणा 11 फीट की है। रंग चमकदार केसरिया है। इसे पैराशूट ग्रेड के तीन परत वाले कपड़े से बनाया गया है और आस्था के रेशमी धागों में पिरोया गया है। यह अहमदाबाद में बनकर तैयार हुआ। इसे 161 फीट ऊंचे शिखर पर 42 फीट ऊंचे एक दंड के माध्यम से स्थापित किया गया है। दंड पर 21 किलो सोना मढ़ा गया है। ध्वजा चार किमी दूर से भी दिखाई देगी। धर्म ध्वजा भयानक तूफान में भी सुरक्षित रहेगी। ध्वजा दंड पर बॉल बियरिंग लगे हैं। इससे ध्वजा हवा बदलने पर बिना उलझे पलट जाएगी। ध्वजा पर प्रभु श्रीराम के सूर्यवंश का चिह्न और ओंकार बना हुआ है। साथ ही कोविदार वृक्ष का भी चिह्न है। इन चिह्नों के लिए चार महीने तक अध्ययन किया गया था। इन चिह्नों को ध्वज पर हाथ से बुना गया है
