हुड्डा के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पर शाह का OBC दांव, क्या BJP की हैट्रिक लगा सकेगा ये सियासी बूस्टर?

हरियाणा की राजनीति में इस साल मार्च में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एकाएक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर उनकी जगह पिछड़े समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके पीछे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर, एक बड़ी वजह बताई गई।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। भाजपा, सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए प्रयासरत है, तो कांग्रेस पार्टी इसे रोकने की प्लानिंग कर रही है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान की तरफ से फ्री हैंड मिला हुआ है। लोकसभा चुनाव में हुड्डा ने प्रदेश की दस में से पांच सीट, कांग्रेस पार्टी की झोली में डाल दी थी। भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका था। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरियाणा की सत्ता में भाजपा की हैट्रिक लगवाने की जिम्मेदारी ले ली है। मंगलवार को हरियाणा के महेंद्रगढ़ में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मान सम्मेलन में शाह ने चुनावी रणनीति का इशारा कर दिया। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अभियान ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ पर गैर जाट एवं ओबीसी केमिस्ट्री का दांव चल दिया है। शाह को उम्मीद है कि ये सियासी बूस्टर, प्रदेश में भाजपा की सत्ता की हैट्रिक लगवाने में कारगर साबित होगा।

हरियाणा की राजनीति में इस साल मार्च में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एकाएक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर उनकी जगह पिछड़े समाज से आने वाले नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके पीछे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर, एक बड़ी वजह बताई गई। भाजपा ने तभी अपनी सहयोगी पार्टी ‘जजपा’ के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। पार्टी को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ और भाजपा, दस में से पांच लोकसभा सीटें खो बैठी। प्रदेश की सियासत में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद बढ़ गया। उन्होंने जोरशोर से विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी। तीन चार माह बाद होने वाले चुनाव के मद्देनजर हुड्डा ने ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान प्रारंभ किया। उन्होंने कहा, इस अभियान के तहत कांग्रेस पार्टी, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी। कांग्रेस पार्टी, लोगों के बीच भाजपा को घेरेगी। कांग्रेस ने पिछले दिनों राज्य सरकार के खिलाफ एक ‘आरोप पत्र’ जारी किया था। इसमें विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘भाजपा सरकार से हरियाणा मांगे हिसाब’ मुहिम को घर-घर पहुंचाने की रणनीति बनाई है।

हुड्डा की इस रणनीति को तोड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महेंद्रगढ़ में पिछड़ा वर्ग सम्मान सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा, हरियाणा की भूमि तीन चीजों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। सेना में सबसे अधिक जवान हरियाणा से हैं, सबसे अधिक खिलाड़ी हरियाणा से हैं और देश में सबसे अधिक अन्न का उत्पादन भी हरियाणा में होता है। शाह ने ओबीसी का दांव चला। उन्होंने कहा, हरियाणा कैबिनेट ने तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इसके तहत क्रीमी लेयर की सीमा को छह लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया है। इसमें वेतन और कृषि की आय नहीं गिनी जाएगी। इसके साथ ही पंचायतों में ग्रुप A के लिए 8 फीसदी आरक्षण के साथ ही ग्रुप B के लिए भी 5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसी तरह नगर पालिकाओं में भी ग्रुप A के लिए 8 फीसदी आरक्षण के साथ ही ग्रुप B के लिए भी 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 

शाह ने कहा, उनकी पार्टी ने देश को पहला ऐसा सशक्त प्रधानमंत्री दिया है, जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के 71 में से 27 मंत्री पिछड़ा वर्ग के हैं। उनमें 2 मंत्री हरियाणा से हैं। नरेंद्र मोदी ने पूरे देश और हरियाणा के ओबीसी समाज का सम्मान किया है। अमित शाह ने कहा, हरियाणा सरकार ने भी पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। पिछड़े वर्ग के एक बेटे को मुख्यमंत्री बनाया गया है। पिछली सरकारों को नौकरियों में भ्रष्टाचार करने, जातिवाद फैलाने, ओबीसी समाज के साथ अन्याय करने और परिवारवाद का हिसाब देना चाहिए। भाजपा कार्यकर्ता, घर घर जाकर कांग्रेस पार्टी से उक्त हिसाब मांगेंगे।

शाह ने कहा, 1957 में जब ओबीसी आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमीशन बना था, तब उसे कई सालों तक लागू नहीं होने दिया गया। 1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मंडल कमीशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। जब 1990 में इसे लाया गया, तो तत्कालीन प्रधाननमंत्री ने इसका विरोध किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देकर पूरे पिछड़े समाज को संवैधानिक अधिकार देने का काम किया है। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में हरियाणा की दस में से पांच सीट हारने के बाद भाजपा पुराने ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के फॉर्मूले पर लौट रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जाट समुदाय के वोट नहीं मिले। ऐसे में भाजपा ने हरियाणा में गैर जाट मतदाता, जो कुल आबादी का लगभग 75 फीसदी हैं, पर ही फोकस करने की रणनीति बनाई है। राई से विधायक मोहनलाल बड़ौली, जो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी, पिछड़े वर्ग से आते हैं। प्रदेश में पिछड़े वर्ग के वोटरों की संख्या 35 फीसदी से अधिक है। भाजपा ने अब इस वर्ग पर विशेष फोकस किया है। हरियाणा से पिछड़े समुदाय के दो सांसदों को केंद्र में मंत्री बनाया गया है। आने वाले दिनों में भाजपा, एससी वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए कई तरह की घोषणाएं कर सकती है। पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। 

ब्राह्मण समुदाय के नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। इस तरह से भाजपा ने गैर जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। अमित शाह ने ओबीसी सम्मान समारोह के जरिए दक्षिणी हरियाणा की करीब दो दर्जन सीटों को साधने का प्रयास किया है। उनकी नजर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम व मेवात सहित दूसरे जिलों की विधानसभा सीटों के ओबीसी वोट बैंक पर है। शाह ने कहा, भाजपा से हिसाब मांगने वाली कांग्रेस को अपने समय मे नौकरियों में भ्रष्टाचार करने, जातिवाद फैलाने, ओबीसी समाज के साथ अन्याय करने और परिवारवाद का हिसाब देना चाहिए। हरियाणा भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता और प्रदेश की जनता, कांग्रेस से उनके 10 साल के कुशासन का हिसाब मांगें।

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March 13, 2025
12:38 am

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