संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी’, अमित शाह बोले- भारतीय भाषाओं को सशक्त बनाने के लिए कर रहे काम

अमित शाह ने कहा कि अब संस्कृत के इतिहास पर नहीं, बल्कि इसके पुनरुत्थान पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जैसे कि ‘अष्टादशी’ योजना के तहत 18 प्रोजेक्ट्स और दुर्लभ संस्कृत ग्रंथों के प्रकाशन में आर्थिक मदद। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी भारतीय ज्ञान परंपरा को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें संस्कृत एक मुख्य स्तंभ है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है क्योंकि कोई भी अपनी मातृभाषा से दूर नहीं रह सकता, और संस्कृत लगभग सभी भारतीय भाषाओं की मां है। यह बात अमित शाह ने दिल्ली में आयोजित 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों के समापन समारोह में कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत का प्रचार-प्रसार सिर्फ इसके पुनरुत्थान का सवाल नहीं है, बल्कि यह भारत की समग्र प्रगति का भी माध्यम है।

संस्कृत दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा- अमित शाह
अमित शाह ने कहा, ‘जब संस्कृत समृद्ध और सशक्त होगी, तब देश की हर भाषा और बोली को ताकत मिलेगी।’ उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा बताया और कहा कि इसकी व्याकरण संरचना अद्वितीय है। गृह मंत्री ने संस्कृत भारती संगठन की तारीफ करते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर शिविर आयोजित करना साहसिक काम है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का पतन तो उपनिवेश काल से पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन अब इसके पुनरुद्धार में समय और निरंतर प्रयास लगेंगे।

देश में संस्कृत के पुनर्जागरण का अनुकूल माहौल’
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश में संस्कृत के पुनर्जागरण का अनुकूल माहौल बना है। उन्होंने कहा कि सरकार, जनता और समाज का सामूहिक मानस संस्कृत के उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित है। अमित शाह ने बताया कि 1981 से संस्कृत भारती दुनिया भर में संस्कृत ज्ञान को फैलाने और लाखों लोगों को संस्कृत बोलने और सीखने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई बड़े विद्वान भी संस्कृत को सबसे वैज्ञानिक भाषा मानते हैं।

वरिष्ठ संस्कृत विद्वानों की हो रही नियुक्ति- अमित शाह
गृह मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को अब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है और ‘सहस्र चूड़ामणि योजना’ के तहत वरिष्ठ संस्कृत विद्वानों की नियुक्ति भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश भर में बिखरे हुए संस्कृत और प्राकृत के पांडुलिपियों को इकट्ठा करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक 52 लाख से ज्यादा पांडुलिपियां दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 3.5 लाख का डिजिटलीकरण और 1.37 लाख को ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है।

गृह मंत्री ने की संस्कृत भारती की तारीफ
अमित शाह ने कहा कि संस्कृत में छिपे गहरे ज्ञान में दुनिया की कई समस्याओं का समाधान मौजूद है। उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती ने अब तक एक करोड़ से ज्यादा लोगों को संस्कृत बोलना सिखाया है, एक लाख से ज्यादा शिक्षक तैयार किए हैं और देश में 6,000 परिवार आज भी सिर्फ संस्कृत में बातचीत करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अब 4,000 गांव हैं, जहां पूरा संचार संस्कृत में होता है। संस्कृत भारती ने दुनिया के 26 देशों में 4,500 केंद्र बनाए हैं और 2011 में दुनिया का पहला विश्व संस्कृत पुस्तक मेला भी आयोजित किया था। अमित शाह ने कहा कि संस्कृत भारत की आस्था, परंपरा, सत्य और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वेद, उपनिषद और हजारों संस्कृत ग्रंथों में छिपा ज्ञान अब पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहिए। इस समारोह में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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June 28, 2025
8:55 am

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